लखीमपुर:कथाव्यासप्रेमभूषणनेशारदीयनवरात्रकेछठेदिनवाईडीकॉलेजमैदानमेंवनवासकालकीमहिमाकावर्णनकरतेहुएकहाकिविपरीतपरिस्थितियोंमेंभीमनुष्यकोसहजभावमेरहनाचाहिए।श्रेष्ठकीबातपरबिनाकिसीविलगभावकेउसपरअमलकरनाहीश्रेष्ठधर्महै।मनुष्यकोसुविधाओंकेपीछेनपड़करसंतोषप्रविृत्तिकोग्रहणकरनाहीसर्वोपरिधर्महै।अकारणक्रोधकरनेवालाऔरभाईबंधुओंसेदुरावरखनेवालाव्यक्तिकभीभीसुखकोप्राप्तनहींकरसकता।सद्भावकोग्रहणकरनाहीमानवजीवनकीसफलताहै।तनजगतकेलिएऔरमनकेवलभगवानकेलिए।
उन्होंनेकेजबभजनसुनायाÞमनलगोरेयारफकीरीमें...तोपूरापंडालअध्यात्मिकआनंदमेंभावविभोरहोगया।उन्होंनेबतायाकिवनवासकीकथाव्यक्तिकोसहजभावमेजीनेकीशिक्षादेतीहै।कथाकेक्रममेंकथाव्यासनेभरतचरितकावर्णनकिया,भरतकेअगाधप्रेमकीमहिमाबतातेहुएउन्होंनेकहाकिभरतप्रभुश्रीरामकेमनहैं।भरतकोअपनेपदऔरप्रतिष्ठाकीकोईचाहनहीं,उनकीबसमनसेइच्छाहैकिप्रभुजिसमेखुशरहेंकेवलउसीकाअनुसरणहो।भरतकोअयोध्यामेननिहालसेवापसआकरप्रभुश्रीरामकोनपाकरपिताकेशरीरत्यागसेभीज्यादाकष्टहुआ।भरतप्रभुश्रीरामकोअयोध्यावापसलानेकोजातेहैं,परंतुप्रभुकीइच्छाकामानरखतेहुएचरणपादुकालेकरवापसआयेऔरचरणपादुकाकोअयोध्याके¨सघासनपररखकरराजकार्यकरनेलगे।रामकथाकीआयोजनऔरव्यवस्थापकसमितिमेंज्ञानस्वरूपशुक्लऔरसमस्तपरिवारएवंमोहनबाजपेईकेसाथशहरकेअनेकवरिष्ठनागरिकउपस्थितरहे।