PauranikKathayein:प्राचीनकालमेंजबभगवानविष्णुनेदुष्टोंकोमारनेऔरदेशमेंधर्मकीस्थापनाकेलिएश्रीकृष्णकाअवतारलियाथायहपौराणिककथाउसीसमयकीहै।यहकथाकृष्णभगवानकेबालजीवनसेजुड़ीहुईहै।जबनंदगांवमेंमांयशोदाकेपासकृष्णजीबड़ेहोरहेथेउससमयउनकास्वभावबेहदनटखटथा।उनकेस्वभआवकीचर्चापूरेवृन्दावनमेंथी।
एकबारश्रीकृष्णघरकेबाहरमिट्टीकेआंगनमेंखेलरहेथे।इसीसमयदाऊयानीश्रीकृष्णकेबड़ेभाईवहांआए।उन्होंनेदेखाकिकन्हैयामिट्टीखारहेहैं।यहदेखदाऊनेउनकीशिकायतमांयशोदासेकी।उन्होंनेकहाकिमां,देखोतोकान्हाआंगनमेंमिट्टीखारहाहै।जैसेहीमांयशोदानेयहसुनातोवोसीधाबालगोपालकेपासपहुंची।उन्होंनेपूछाकिलालाक्यातुमनेमिट्टीखाई।इसपरकान्हाबोले,“नहीं,मांमैंनेमिट्टीनहींखाई।”मांयशोदाकोउनकीबातपरविश्वासनहींकिया।उन्होंनेकहा,“कान्हा,जरामुंहखोलकरतोदिखाओकितुमनेमिट्टीखाईहैयानहीं।”यहसुनकरमांयशोदाकोकान्हानेमुंहखोलकरदिखाया।जैसेहीउन्होंनेमुंहखोलातोमांयशोदाअचंभितरहगईं।
मांकोउन्हेंमुंहमेंमिट्टीतोनजरनहींआईलेकिनपूराब्रह्मांडजरूरनजरआरहाथा।मांयशोदाकोअपनीआंखोंपरविश्वासहीनहींहुई।उन्होंनेसोचाकिउनकेकान्हाकेमुंहमेंउन्हेंसारीसृष्टिऔरजगतकेसमस्तप्राणीकैसेनजरआरहेथे।वोज्यादादेरतकयहदेखनहींपाईंऔरबेहोशहोगईं।
जबमांयशोदाकोहोशआयातोउनकेमनमेंबालकृष्णकेलिएऔरभीज्यादाप्यारजागगया।उन्होंनेकान्हाकोअपनेगलेसेलगालिया।उनकीआंखेंआंसुओंसेभरगईं।मांयशोदाकोविश्वासहीनहींहुआकिवोएकसाधारणबालकनहींहैं।वहस्वयंसृष्टिकेस्वामीऔरपरमात्माकेअवतारहैं।