नगरीय जीवन के पहले सजग कवि थे भारत भूषण अग्रवाल : अरुण कमल

जागरणसंवाददाता,पूर्वीदिल्ली:

साहित्यअकादमीनेआभासीमंचपर'भारतभूषणअग्रवाल:व्यक्तित्वऔरकृतित्व'विषयकसंगोष्ठीकाआयोजनकियागया।भारतभूषणअग्रवालकीजन्मशतवार्षिकीकेउपलक्ष्यमेंआयोजितइससंगोष्ठीकाशुभारंभकरतेहुएप्रख्यातकविअरुणकमलनेकहाकिभारतभूषणअग्रवालनगरीयजीवनकेपहलेसजगकविथे।उन्होंनेमध्यवर्गीयजीवनकीविडंबनाओं,जटिलताओंकोएकनईजीवंतभाषाकेसाथप्रस्तुतकिया।वेउनकवियोंमेंथे,जिन्होंनेकवियोंकेकठिनजीवनकोभीअपनीकविताओंमेंप्रस्तुतकिया।वहीं,भारतभूषणअग्रवालकीपुत्रीअंविताअब्बीनेकहाकिउन्होंनेअपनेजीवनकोहीनहींअपनेपरिवारकेसभीसदस्योंकीभीरचनाकी।उन्होंनेहमेशाधनसेज्यादासाहित्यसृजनकोआगेरखाऔरइसीसर्जनाकीतलाशमेंउन्होंने16नौकरियांबदलीं।

सत्रकीअध्यक्षताकरतेहुएहिदीपरामर्शमंडलकेसंयोजकचित्तरंजनमिश्रनेकहाकिभारतभूषणएकसच्चेरचनाकारथे।उन्होंनेअपनीकवितामेंजितनेसवालउठाएहैंवेसभीअपनेआपमेंक्रांतिकारीऔरसाहसिकसवालहैं।उनकीपूरीकविताकविकेमनकीरूढि़योंसेहीनहींबल्किसमाजकीसभीरूढि़योंसेलड़तीहै।

कथाकारममताकालियानेकहाकिउनकेचाचाभारतभूषणएकबहुआयामीव्यक्तित्वकेथे।उन्होंनेस्वयंकोहीनिर्मितनहींकियाबल्किअपनेपरिवारकाभीनिर्माणकिया।वहहास्यकविनहींबल्किव्यंग्यकेकविथे।यहउनकीप्रतिभाहीथीकिउन्होंनेअपनेसभीसमकालीनरचनाकारोंऔरउनकीरचनाओंपरव्यंग्यसेभरेतुक्तकलिखे।इसअवसरपरसाहित्यअकादमीकेसचिवकेश्रीनिवासराव,सवितासिंह,ओमनिश्चल,पंकजचतुर्वेदीवशैलेंद्रकुमारशर्मा,अकादमीकेसंपादक(हिदी)अनुपमतिवारीनेभीअपनेआलेखप्रस्तुतकिए।