मुमकिन विकल्पों को चुनना सिखाता है अर्थशास्त्र : प्रो. राजेंद्र चौधरी

जागरणसंवाददाता,रोहतक:

पढ़ाईकोजीवनसेजोड़करदेखने,गलत-सहीमेंफर्ककरनेतथानहींदिखताउसेदेखपानेकीक्षमताकेविकासमेंअच्छीकिताबेंऔरमूललेखपढ़नेऔरसवालपूछनेकीआदतकेजरिएसीखनेकेगुरआर्थिक-सामाजिकव्यवस्थाओंकेमर्मज्ञएवंबुद्धिजीवीप्रो.राजिदरचौधरीनेबुधवारकोमहर्षिदयानंदविश्वविद्यालयकेअर्थशास्त्रविभागमेंसाझाकिए।

प्रो.राजिदरचौधरीनेअर्थशास्त्रकाअध्ययनकैसेकियाजाए।व्यावहारिकउपयोगकीकुछसलाहविषयपरविशेषविस्तार-व्याख्यानदिया।उन्होंनेकहाकिहमजोचीजपढ़रहेहैं,वोक्योंपढ़रहेहैंऔरपाठ्यक्रममेंजोहैवोक्योंहै,ऐसेसवालोंसेयहतलाशशुरूहोतीहैकिजीवनमेंइनकाक्याउपयोगहोगा।मूल्यऔरमजदूरीकीदरोंमेंअंतरकाउदाहरणदेतेहुएउन्होंनेइसबातपरजोरदियाकिबाजारसरंचनाओंकोगहराईसेसमझाजाए।

प्रो.चौधरीनेकहाकिअर्थशास्त्रसिखाताहैकिमौजूदऔरमुमकिनविकल्पोंमेंसेकैसेकौनसाचुनाजाए।परन्तुकेवलव्यक्तिगतलाभऔरहानिदेखनेसेकामनहींचलेगा।सहीऔरगलतकाफैसलाकरनासामाजिकदृष्टिसेबहुतजरुरीहै,ऐसाउनकाकहनाथा।कल्पनाशीलताकेसाथबेहतरअर्थव्यवस्थाऔरसमाजबनानेकासपनादेखनासमाज-विज्ञानकामुख्यकामहैं।उन्होंनेकहाकिव्यक्तिगतइकाईऔरसम्पूर्णअर्थव्यवस्थाकेअध्ययनकेलिएबनीअर्थशास्त्रकीमाइक्रोऔरमैक्रोशाखाओंकीमान्यतायेपरस्परमेलनहींखातीऔरयहअर्थशास्त्रकाबड़ासंकटहै।

प्रो.चौधरीनेसमझनाप्रमुखहै,रट्टानहींकेसन्दर्भमेंबलदेकरकहाकिअच्छीकिताबऔरमूलमौलिकलेखपढ़नापरमआवश्यकहै।इसबारेमेंउन्होंनेकहाकिप्रामाणिककिताबेंअंग्रेजीमेंहैंतोभीउनकोपढ़नेसमझनेकाहुनरसीखनाकोईअसंभवकामनहींहै।देशकीआजादीकेतुरंतबादविश्वप्रसिद्धपुस्तकोंकेहिदीअनुवादकीपरंपराकेलोपपरदुखप्रकटकरतेहुएउन्होंनेकहाकिकिताबोंकोजरुरतकीदृष्टिसेदेखनेऔरअच्छीकिताबेंलिखनेकीजरुरतहै।सवालनहींपूछेंगेतोसीखेंगेनहींकाउद्घोषकरतेहुएउन्होंनेकहाकिअपनेसेकिताबसेऔरशिक्षकसेसवालकरतेरहनाचाहिए।इसउलझनकेबारेमेंकिकौनसीकिताबपढ़ीजाए,प्रोचौधरीनेकहाकितीनचीजो-लेखक,प्रकाशकतथालेखककीसंस्था-केजानेमानेहोनेसेकिताबकीगुणवत्ताकापतालगताहै।

अर्थशास्त्रविभागकेअध्यक्षडा.हिम्मतसिंहरत्नूनेप्रारंभमेंस्वागतभाषणदिया।शिक्षकडा.राजेशकुमारनेवक्ताकापरिचयकरवायातथाडा.किरणबालानेभारीसंख्यामेंमौजूदविद्यार्थियों,शिक्षकोंएवंसुधीजनोंकाधन्यवादज्ञापितकिया।