बहुआयामी व्यक्तित्व के स्वामी थे कवि चंद्रभूषण

समस्तीपुर।सरायरंजनप्रखंडकीऐतिहासिकजमुआरीनदीकेतटपरहरसिंहपुरमें21दिसंबर1954कोरामलगनगिरिएवंधर्मपरायणसरस्वतीदेवीकेघरजन्मेकविहृदयचंद्रभूषणबहुआयामीव्यक्तित्वकेधनीथे।उन्होंनेसमाजसेवी,कर्तव्यनिष्ठअधिकारीकेसाथ-साथसंवेदनशीलकविकेरूपमेंअपनीपहचानबनाई।प्रारंभिकशिक्षागांवमेंहीपूरीहुई।उच्चशिक्षाकेलिए1972मेंसमस्तीपुरकॉलेजमेंदाखिलालिया।वहीं,1974मेंलोकनायकजयप्रकाशनारायणकेआह्वानपरछात्रआंदोलनमेंकूदपड़े।उनकेविरुद्धकईबारवारंटजारीहुए,लेकिनवेस्वयंकोगिरफ्तारीसेबचातेहुएएकजुझारूछात्रनेताएवंकुशलसंगठनकर्ताकेरूपमेंकार्यकरतेरहे।

स्नातकउत्तीर्णहोनेकेबाद1977मेंउनकाविवाहसमस्तीपुरजिलेकेरायपुरबुजुर्गमेंकविताकेसाथसंपन्नहुआ।शादीकेबादउन्होंनेएमएवएलएलबीकीडिग्रीप्राप्तकी।अपनेकॅरियरकीशुरुआतउन्होंनेगांवस्थितएकसंस्कृतविद्यालयकेप्रधानाध्यापककेरूपमेंकी।इसकेबाद25वर्षोतकउन्होंनेभारतीयजीवनबीमानिगममेंविकासपदाधिकारीकेपदकोसुशोभितकिया।

सेवाकालकेदौरानवेसमाजसेवा,साहित्यसृजन,संगीतएवंरंगमंचकेलिएसमयनिकाललेतेथे।उनकीसैकड़ोंकविताएंएवंगजलेंप्रतिष्ठितपत्र-पत्रिकाओंमेंछपतीरहीं।उनकीचर्चितरचनाओंमेंपरिचय,हीरोकीपहचान,चोरसम्मेलन,कान्हाकेसंगहोली,श्रद्धांजलि,अधखिलाफूल,ख्वाबोंमेंआना,क्रांतिगान,चांद,वफाएमुहब्बतआदिप्रमुखहैं।

उन्होंनेकश्मीरसेकन्याकुमारीतकसंपूर्णभारतकीयात्राकी।इसदौरानवेदेशकीविभिन्नसंस्कृतियोंसेअवगतहुए,लेकिनअत्यधिकभ्रमणकेकारणउनकीदिनचर्याबिगड़गई।आखिरकार22अक्टूबर2018कोहृदयाघातसेउनकाआकस्मिकनिधनहोगया।