नयीदिल्ली,20मार्च(भाषा)मोतीबनानेकीविधामें‘टिश्यूकल्चर’कीआधुनिकतमतकनीककाउपयोगकरतेहुएनियंत्रितएपीजेनेटिकद्वाराख़ासमोतीबनानेवालेभारतीयवैज्ञानिकडॉअजयकुमारसोनकरकोस्विट्जरलैंडकेज्यूरिखविश्वविद्यालयके‘फॉरेंसिकजेनेटिकमेडिसिनविभाग’नेइसक्षेत्रमेंआगेकेअनुसंधानकेलिएसाझेदारीकाप्रस्तावदियाहै।डॉसोनकरकेनयेअनुसंधानकेबाद‘वर्ल्डएक्वाकल्चर’,‘एक्वाकल्चरयूरोप’और‘इंफोसिसइंटरनेशनल’जैसीतमामअंतराष्ट्रीयविज्ञानपत्र-पत्रिकाओंमेंउनकालेखप्रकाशितहुआहैऔरउसकेबाददुनियाकेअलग-अलगकोनोंकेवैज्ञानिकउनसेसंपर्ककररहेहैं।भारतसरकारनेभीउन्हेंइसनयेअनुसंधानकेबाद‘पद्मश्री’सम्मानकेलिएचुनाहैऔर21मार्चकोराष्ट्रपतिभवनमेंआयोजितसमारोहमेंउन्हेंसम्मानितकियाजायेगा।डॉसोनकरने‘पीटीआई-भाषा’सेबातचीतमेंकहा,‘‘इसअनुसंधानकेलिएमैंने‘टिश्यूकल्चर’काउपयोगकरनेकेसाथ-साथ‘नियंत्रितएपीजेनेटिक’(वातावरण,खान-पानऔररहन-सहन)काभीइस्तेमालकिया।‘टिश्यूकल्चर’काउपयोगकरकेहमनेसीपकेजीनकेउनकुछगुणोंकोअभिव्यक्तहोनेसेरोकदियाजिसकेकारणमोतीमेंअशुद्धियांआतीहैं।उसीप्रकारकुछऐसेजीनकोअपनीअभिव्यक्तिदेनेकेलिएप्रेरितकरदियाजोशुद्धतममोतीकेतत्वउत्पन्नकरतेहैं।’’उन्होंनेबतायाकिमीठेपानीकेसीपज्यादातर‘कैल्साइटक्रिस्टलाइजेशन’करतेहैंजोसामान्यत:हड्डियोंमेंहोताहै,वहींसमुद्रीपानीकेसीपअपनेवातावरणकीभिन्नताकेकारण‘एरागोनाइटक्रिस्टलाइजेशन’करतेहैंजिसकीवजहसेमोतीकोरत्नकादर्जाप्राप्तहै।उन्होंनेकहाकि‘एरागोनाइटक्रिस्टलाइजेशन’मेंमोतीकेबहुमूल्यचमकीलेपदार्थकीअधिकताहोतीहैऔरइसीकारणसमुदीसीपकेबनेमोतीरत्नकीश्रेणीमेंआतेहैंऔरइसीक्रिश्टलाइजेशनकेकारणमोतीकारंग,गुणवत्ताआदिकानिर्धारणहोताहै।वैज्ञानिकनेअपनेनयेअनुसंधानकेबारेमेंबताया,‘‘प्रयोगकेदौरानमैंनेसीपमेंऐसेजीनकोअभिव्यक्तहोनेसेरोकदिया(मैथिलिएशन)जो‘कैल्साइटक्रिस्टलाइजेशन’केलिएजिम्मेदारहैंऔर‘नियंत्रितएपीजेनेटिक’काउपयोगकरकेऐसेजीनकोअभिव्यक्तहोनेकावातावरणदियाजो‘एरागोनाइटक्रिस्टलाइजेशन’करतेहैं।’’डॉसोनकरनेकहा,‘‘मेरेलिएयहशोधइसमायनेमेंमहत्वपूर्णहैकिजिसतरीकेसेनयीविधाकाइस्तेमालकरमुझेसीपकेमेंटल(सीपकाअंदरूनीहिस्सा)सेफ्लास्ककेअंदरमोतीबनानेमेंसफलतामिलीहै,उसीविधासेनियंत्रितएपीजेनेटिककेमाध्यमसेआजकेबदलतेपरिवेशमेंकैंसरसहिततमामरोगोंसेलड़नेवालेतत्वोंकोमजबूतकियाजासकताहैऔरइंसानकोरोगमुक्तहोनेकीओरलेजायाजासकताहै।’’इसअनुसंधानकेलिएमिलीप्रेरणाकेबारेमेंपूछेजानेपरउन्होंनेकहा,‘‘मुझेयहप्रेरणाजापानीवैज्ञानिकडॉयोशीनोरीओशिमीकेद्वाराफिजिओलाजीवमेडिसिनकेक्षेत्रमेंकियेउनकेशोधकार्यसेमिली।उन्होंने‘आटोफेजी’नामककोशिकीयगतिविधिकीखोजकीजिसकेतहतशरीरस्वयंविकृतकोशिकाओंकोनष्टकरदेताहै।इसेविज्ञानजगतनेगंभीरबीमारियोंकेइलाजकीसंभावनाकेरूपमेंदेखाजिसकेलिएउन्हेंवर्ष2016केनोबेलपुरस्कारसेसम्मानितकियागया।’’उन्होंनेबतायाकिइसखोजकोविश्वभरमेंआनेवालेसमयमेंकैंसरकेइलाजकीसंभावनाकेरूपमेंदेखागयाहै,जबकिडॉयोशीनोरीनेयहखोजकिसीमनुष्ययाजीवकेकोशिकाओंकेअध्ययनसेनहींकी,बल्किबेकरीउत्पादमेंउपयोगहोनेवालेयीस्टकेकोशिकाओंपरअपनासाराप्रयोगकियाऔरकोशिकाओंकीआटोफेजीगतिविधिकोखोजा।उन्होंनेकहा,‘‘यहदेखमैंनेमोतीबनानेवालेसीपोंपरएपीजेनेटिककेबदलावकेप्रभावकेअध्ययनहेतुअपनेशोधकार्यकीयोजनाबनाई।’’डॉसोनकरनेकहाकिउन्होंनेअपनेअनुसंधानकेपहलेह्यूस्टनस्थितराइसयुनिवर्सिटीसेडीएनए,बायलोजीजेनेटिककोडपरअध्ययनकिया,वागनिनजेनय़ूनिवर्सिटीनीदरलैंडसे‘न्यूट्रीशनएन्डकैन्सर’व‘न्यूट्रीशनएन्डडायबिटीज़वहार्टडिसीज’परअध्ययनकिया,औरटोक्योइन्सटीट्यूटआफटेक्नोलाजीसेडा;य़ोशीनोरीके‘सेलबायलोजी’केशोधकाअध्ययनकिया।तत्पश्चात्अपनीटिश्यूकल्चरप्रयोगशालाकीस्थापनाकरकेअपनाशोधआरंभकिया।