आतंकवाद की जड़ों में लहराती है मनोवैज्ञानिक विचारधारा : भारती

जागरणसंवाददाता,जगाधरी:दिव्यज्योतिजागृतिसंस्थानकीओरसेहनुमानगेटस्थितआश्रममेंआयोजितसाप्ताहिकसत्संगमेंसाध्वीसत्याभारतीनेचर्चाकेदौरानसमाजकेभीतरव्याप्तबुराइयोंमेंसेआतंकवादकाउल्लेखकिया।

उन्होंनेकहाकिआतंकवादमात्रदहशतनहींहै।दरअसलयहआतंककावादहै।इसकीजड़ोंमेंएकमनोवैज्ञानिकविचारधारालहरातीहै।जोआतंकयादहशतकीविचारधाराकोप्रसारितकरतीहै।आतंकवादमनोवैज्ञानिकयुद्धकाअस्त्रहै।अर्थातइसआतंककामूलकारणअज्ञानताऔरशक्तिकागठजोड़है।

उन्होंनेकहाकिजबएकअज्ञानीव्यक्तिकेहाथमेंशक्तिकाप्रतीकखडगआताहै,तोप्रलयकाविध्वंसकारीअध्यायहीरचितहोताहै।मानवीयविचारोंवनिष्ठाओंकागलाघोंटरहीइसविकटसमस्याकेसमाधानकेलिएप्रयासकिएजारहेहैं,परंतुपरिणामनाकेबराबरहै।अगरकिसीकंटीलेपेड़कोसमाप्तकरनाहैतोपत्तोंयाटहनियोंकोनहीं,उसकोमूलसेसमाप्तकरनाहोगा।ठीकयहीकार्यहमेंआतंकवादकेविषयमेंभीकरनाहोगा।

उन्होंनेकहाकिहमेंअपनेजीवनमेंज्ञानवप्रकाशकोप्रथमस्थानदेनाहोगा।ज्ञानसेअभिप्रायहै।जानना।एकपूर्णसंतकेशरणागतहो,उसकीकृपाद्वाराहीउसप्रकाशकादर्शनकियाजासकताहै।जैसेअंगुलीमालनेसमयकेपूर्णसंतमहात्माबुद्धकीशरणकोप्राप्तकरउसदिव्यप्रकाशकादर्शनअपनेभीतरकिया।यहीबुराईकानाशकरनेकाएकमात्रउपायहै।अत:हमेंभीअपनीबुराइयोंकेनाशकेलिएसमयकेसंतकीशरणकोप्राप्तकरनाहोगा।