जासं, बहराइच : पीएम की ड्रीम उज्ज्वला योजना ने फूस की झोपड़ियों में रहने वाली जिले की 3.31 लाख गरीब तबके की महिलाओं की जिदगी में उजियारा फैलाया है। योजना के धरातल पर परवान चढ़ने से महिलाओं से मिट्टी का चूल्हा छूटा, धूएं से मटमैल हो रही जिदगी से भी निजात मिली है। दो वक्त की रोटी बनाने के लिए महिलाओं की लकड़ी जुटाने की चिता दूर हो गई है। अब चंद मिनटों में भोजन तैयार हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक मई 2016 को उज्ज्वला योजना की शुरुआत की थी। योजना का उद्देश्य गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले परिवारों की महिलाओं की जिदगी को आसान बनाना है। मिट्टी के चूल्हे व अंगीठियों की प्रथा को समाप्त कर धुएं से धूमिल हो रही जिदगी बाहर निकालना भी है। तीन सालों में अब तक तीन लाख 31 हजार 639 गरीब महिलाओं को मुफ्त में एपीजी गैस कनेक्शन, चूल्हा, रेग्यूलेटर मिला है। केंद्र की इस योजना के तराई में सफल होने का नतीजा रहा है कि सुबह व शाम फूस की झोपड़ियों से उठने वाला धुआं लगभग गायब हो चुका है। अब दो जून के भोजन बनाने के लिए लकड़ी जुटाने की चिता और न ही बारिश में लकड़ी को भीगने से बचाने की जुगत की जरूरत रहती है। लाभ से मिला हुनर गैस चूल्हा मिलने से न केवल धुएं से निजात मिली है, बल्कि महिलाओं ने उसके प्रयोग का हुनर भी सीखा है। महिलाएं बताती हैं कि गैस चूल्हे पर खाने का बनना वे लोग सुनती थी, अब वे उस पर ही खाना बनाती हैं। अरसे से चली आ रही मिट्टी के चूल्हे व अंगीठियों की एक परंपरा को योजना के जरिए समाप्त किया गया है।
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